मोदीजी के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में अहमदा बाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन का सफर आखिर क्या है चक्कर ? जाने पूरा माजरा !

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रिपोर्टर.

आज का दिन भारत के लोगों पर अगले 50 साल वर्षों के लिए कर्जदार बनायेगा !

तो बजाओ ताली, तमाशा शुरू होने वाला है!
आज अपने अहम् की संतुष्टि के लिए आपके विकास के नाम की पर्ची फाड़ी जायेगी।

जिसका ऋण को आप व् आपकी आने वाली पीढ़ियों को अगले 50 साल तक चुकाना पड़ेगा।
मुझे आज तक सरकार का लॉजिक समझ नहीं आया बुलेट ट्रेन वाला ।
लगभग 550 किलोमीटर की दूरी है अहमदाबाद से मुंबई 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट ।

88000 करोड़ रुपए जापान देगा उधारी के तौर पर 0.1% ब्याज पर 50 साल के लिए ।
मतलब अपने लग रहे हैं 22 हजार करोड़ रुपए ।
रेल्वे का revenue है कुछ 1 लाख 68 हजार करोड़ रुपए सालाना ।

जिसमें से खर्चा काट कर कुल इनकम है लगभग 10 हजार 500 करोड़ रुपए ।
अब 88000 करोड़ रुपए की उधारी 0.1% ब्याज पर ।
मतलब 1800 करोड़ रुपए सालाना की हम उधारी चुकाएंगे ।

हमारे अपने जो 22000 करोड़ रुपए लगे हैं वो अलग है
तो देखना यह है कि क्या 1800 करोड़ रुपए की कमाई भी हम कर पाएंगे इस प्रोजेक्ट से ?

मान लें एक ट्रेन में 16 डिब्बे हैं और एक डिब्बे में 72 सीट हैं तो एक बार के ट्रेन के सफर में कुल यात्रियों की संख्या हुई 72×16=1152 अब यही ट्रैन वापस आती है तो संख्या है 1152 मतलब कुल एक चक्कर में कुल यात्री हुए 2304।

एक यात्री से सरकार ने अगर 1000 रू लिए तो एक दिन की राशि 23,04,000।
इस मुताबिक एक साल में जमा राशि 84,09,60,000।
कुल 84 करोड़ 09 लाख़ 6 हजार रू ।

अब अगर ट्रैन दिन में 4 चक्कर लगाती है मतलब दोनों जगह से ट्रेन सुबह भी चलेगी और शाम को भी तो कुल इनकम होती है
840960000×4=
336,38,40,000.
मतलब 336 करोड़ 38 लाख 40 हजार रुपये, जिसमे उसके संचालन का खर्च अलग है ।
मसलन ड्राइवर और गार्ड की तनख्वाह, रखरखाव, मेंटेनेंस आदि का खर्च।

जिसमे ब्याज सिर्फ ब्याज के भरने हैं 1800 करोड़ रुपये। और उसके बाद मूलधन और उसके बाद कमाई की सोच।
अपने जो 22000 करोड़ गायब हो गए उसे तो भूल ही जाना पड़ेगा।

क्या आपको लगता है कि आप साल भर में 336 करोड़ रू कमा कर 1800 करोड़ का ब्याज भर सकते हैं तथा 88000 करोड़ का कर्ज उतार सकते हैं ?

उसके बाद कुछ कमा सकते हैं वो भी अगले 50 साल के बाद,  तो यकीन मानिए आपसे बड़ा बेवकूफ इस दुनिया में कोई नही है?
किराया अगर 3000 भी कर दे तब भी 1008 करोड़ ही इकट्ठा होगा !

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