मोदी,जी ईड़ी जैसी जांच एजेंसियों के लिए सिर्फ विपक्ष की पार्टियां ही निशाने पर है , बीजेपी क्यों नही ?

तेजस्वी यादव की गर्भवती पत्नी को पूछताछ के नाम पर 15 घंटे प्रताड़ित किया गया। इस दौरान वे बेहोश हो गईं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इतनी ​नैतिकता तो चंबल के डकैतों में भी होती थी कि वे बच्चों और स्त्रियों को नहीं छूते थे। यह कैसे कसाइयों का राज आ गया है कि अब गर्भवती मांएं राजनीतिक बदले का शिकार हो रही हैं?

लालू प्रसाद यादव की पत्नी, बेटे, बेटी, गर्भव​ती बहू और छोटे बच्चों को जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है, वैसा भारत की राजनीति में तो कभी देखने को नहीं मिला। नेता जेल गए, सजा हुई, लेकिन उनके परिवार को कोई नहीं छूता था। हमारी राजनीति अब बदले की भावना से आगे बढ़कर, सबको मिटा देने के क्रूर विचार पर काम कर रही है।

ईडी जैसी जांच एजेंसी उस दो कौड़ी के लतखोर गुंडे जैसी हो गई है जो जरा जरा से रुपयों के लिए सुपारी लेता है और फिर बाद में लात खाता घूमता है। ईडी के सैंया अभी कोतवाल हैं, पर समय सबका हिसाब करता है।
सब विपक्षी पार्टियां एक साथ ईडी के निशाने पर हैं। कांग्रेस से लेकर राजद, तृणमूल, एनसीपी, टीआरएस, आप, शिवसेना समेत हर पार्टी के नेताओं पर छापे पड़ रहे हैं।

पिछले कुछ समय में लगभग सारी विपक्षी पार्टियों या उनके नेताओं पर छापेमारी हुई है। लालू प्रसाद यादव सबसे ज्यादा निशाने पर हैं। क्योंकि लालू और नीतीश मिलकर विपक्षी एकता के लिए कुछ खिचड़ी पका रहे हैं। 2024 के चुनाव के पहले सारी छोटी बड़ी पार्टियों पर ताबड़तोड़ छापा कोई संयोग नहीं है। अगर यह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई होती तो नौ साल तक इंतजार न किया जाता, अब तक सबका हिसाब हो चुका होता। यह भ्रष्टाचार के बहाने सबको मिटाकर विपक्षमुक्त तानाशाही के निर्माण का अभियान चल रहा है।

देश में जिस तरह से विपक्ष को रौंदा जा रहा है, अगर ये सभी दल पार्टी हित को त्यागकर एकजुट होकर मुकाबला नहीं करेंगे तो ये सब खत्म कर दिए जाएंगे। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। भारत की विपक्षी पार्टियों के पास अपना अस्तित्व और मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने का आखिरी मौका है।
आप कहेंगे कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए? तो यही सवाल सबसे ज्यादा संदेह पैदा करता है। कथित तौर पर, बड़े बड़े घोटालेबाजों पर सीबीआई ओर ईडी लगाई गई, फिर जैसे वे भाजपा में चले गए, उनके केस बंद हो गए। क्या वे केस झूठे थे या फिर उन्हें तोड़कर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार का बहाना बनाया जाता रहा है?

अगर मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सच में गंभीर और एक्शन की मुड़ में है तो ईडी का कन्विक्शन रेट मात्र 0.5 प्रतिशत क्यों है? पूरे देश में ईडी ताबड़तोड़ छापा मार रही है लेकिन सजा किसी को नहीं दिलवा पा रही है? इसका क्या मतलब है? जाहिर है कि विपक्ष के आरोपों में दम है। भाजपा विपक्षमुक्त भारत अभियान चला रही है।

कर्नाटक में भाजपा विधायक का बेटा पकड़ा गया 40 लाख कैश में रिश्वत लेते हुए, और एक ही घर में छापा मारने पर 8 करोड़ के आसपास की नगदी और बरामद हुई।
सिर्फ भाजपा विधायक के एक ठिकाने पर यह सब मिला, अगले दिन कोर्ट से जमानत मिल गई जलूस निकला गया समर्थन में।
और उसके अगले दिन हाईकोर्ट से भाजपा विधायक की मीडिया में खबर दिखाने पर रोक लग गई!

अब आते हैं दूसरे केस पर लालू यादव के घर और उनसे जुड़े लोगों के 24 जी हां 24 ठिकानों पर रेड हुई ED और CBI की जिसमें लगभग 50 लाख रुपए और 30 लाख के आसपास का सोना और डॉलर मिले
कुल 80 लाख, सोने के जेवर सब पहले हुए थे मतलब घर के लोगों ने यूज़ किए थे
यहाँ पर ED और CBI को चीते की तरह छोड़ रखा हैं और बिकाऊ मीडिया में पूरे दिन सूत्रों से खबर चल रही हैं।
तेजस्वी यादव की गर्भवती पत्नी 15 घंटे की पूछताछ के बाद बेहोश हो गईं।

अब सवाल क्या ED और CBI निकम्मी संस्था हैं जो 2017 से अभी तक रेड और पूछताछ ही कर रही हैं?
ईडी का कनविक्शन रेट 2% से कम हैं और CBI का मतलब 10-20 साल के लिए जमानत पर बाहर या बिना फैसले के 1-2 साल अंदर, 25 साल बाद फैसला।

केंद्र में मोदी को 2 माह बाद 9 साल हो जाएंगे, और 2024 के चुनाव तक किसी केस का फैसला आ जाए तो देखना, पर विपक्ष को इतना बदनाम कर दिया जाएगा
या हो सकता हैं की आधे नेताओं को जेल में डाल कर चुनाव लड़ा जाएगा।
नफ़रत और हिंसा की राजनीति ने समाज को अंधा और विपक्ष को देशद्रोही बना दिया हैं।

चुनाव के पहले यूपी में 200 करोड़ कैश मिला था याद है और समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं के यहां कुछ भी नहीं मिला था।
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात चुनाव में 1200 करोड़ की नकदी पकड़ी गईं थी चुनाव आयोग के द्वारा, किसी के घर पर ED, CBI गईं क्या गुजरात में?

50 लाख में और 8 करोड़ में कोई तो अंतर हैं?

बाकि गुजरात के 1200 करोड़ हों या नोटबंदी के समय गुजराती महेश शाह के घर से पकड़े गए 13 हजार 800 करोड़ किसी की कोई खबर नहीं मिलेगी इसका क्या मतलब?
यहा कोई भ्रष्टाचारी का समर्थक नहीं है पर एक पक्षी कार्यवाही और बिना मतलब के विपक्ष को बदनाम करने के खिलाफ हूँ, क्योंकि हेमंता, मुकुल, सुवेंदु, सांगमा, सिंधिया, और भी बहुत नेता वॉशिंग मशीन में धुल चूके हैं फिर वो भ्रष्टाचारी नहीं थे क्या?सिर्फ विपक्ष की पार्टियां ही भ्रष्ट है क्या?

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