मुंबई पुलिस के कॉन्स्टेबल ने किया एक महिला टीचर का बलात्कर ! पुलिस ने करवाई के आड़ में दिया कॉन्स्टेबल को संरक्षण !

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रिपोर्ट:- मेहमूद शेख.

मामला मुंबई के कांदीवली पूर्व समता नगर पुलिस स्टेशन में कार्यरत बचाव हेमकांत नामक कांस्टेबल का है, कॉन्स्टेबल पर महिला टीचर ने यह आरोप लगाया है कि वर्दी का पावर दिखा कर महिला से बार-बार बलात्कार करने का मामला सामने आया है !

पीड़िता महिला टीचर के अनुसार कि कॉन्स्टेबल बचाव ने ब्लैकमेल कर करीब 3 लाख रुपये भी लिए है। जिसको लेकर शिक्षिका से मारपीट का भी आरोप लगाया है। जिसकी शिकायत पीड़िता ने वनराई पुलिस को भी किया है। मगर वनराई पुलिस ने पीड़ित महिला का एफआईआर दर्ज करने के बजाए एन सी लेकर पीड़ित महिला को वापस भेज दिया था।

पीड़िता ने बताया कि उसकी मुलाकात साल 2014 विधानसभा चुनाव के दौरान इलेक्शन ड्यूटी पर दहिसर पूर्व मनपा स्कूल में हुई थी। दोनो की मुलाकात दोस्ती में बदल गया और एक दूसरे मिलने लगे। मामला आखिरकार शादी तक जा पहुचा। जब पीड़ित महिला ने समता नगर के कॉन्स्टेबल हेमकांत बचाव को शादी का प्रस्ताव रखा तो बचाव ने महिला को आश्वासन देते हुए अपनी हवस का शिकार बना लेता था। जनवरी महीने में फिर से पीड़ित महिला ने शादी का प्रस्ताव रखा तो कॉन्स्टेबल हेमकांत बचाव पीड़ित महिला पीटते हुए कहा कि नही करता शादी जो करना है करलो और धमकाते हुए कहा कि अगर ज्यादा चिलाएगी तो तुझे किडनैप कर के तेरे ऊपर एसिड अटैक करवा दूँगा।

कॉन्स्टेबल हेमकांत बचाव !

अपनी ज़िंदगी को बर्बाद होते देख कर पीड़ित महिला मुंबई पुलिस समता नगर पुलिस स्टेशन का सहारा लिया लेकिन समता नगर पुलिस ने महिला की मदत करने के बजाए आरोपी कॉन्स्टेबल हेमकांत बचाव को गिरफ्तारी से बचाने में जुट गई। फिर पीड़ित महिला ने समता नगर पुलिस स्टेशन के डिवीज़न के एसीपी सुभाष वेले से मिली तो वेले ने कहा कि हम जल्द ही करवाई करेंगे ऐसा आश्वासन देकर पीड़ित महिला को भेज दिया।

एक हिंदी वेबसाइट के पत्रकार के अनुसार समता नगर के वरिष्ठ पुलिस निरक्षक राजू कस्बे से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला आया ही नहीं है अगर आया होगा तो जरूर करवाई करेंगे !

वरिष्ठ पुलिस निरक्षक राजू कस्बे का मामले से यू अनजान होना शायद अपने आप मे एक बड़ा सवाल है ! मामला डिवीसीनल एसीपी तक पहोच गया और इन्हें मामले की जानकारी नही ? मुंबई पुलिस के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है !

कानूनी सलाकार के अनुसार पुलिस को मामला दर्ज कर , मामले की जाँच करना चाहिए था ! मुंबई की वनराई पुलिस इस मामले को पहले ही गंभीरता से लेती तो शायद पीड़िता को इतना परेशान नही होना पड़ता !

हालांकि निम्नलिखित सवालों के जवाब मिलना मुश्किल है !
१. बनराई पुलिस ने पीड़ित महिला का बयान लिया तो मामला दर्ज क्यो नही किया ?

२. क्या वनराई पुलिस सच में कॉन्स्टेबल को बचा रही थी , अगर नही , तो अबतक करवाई करने में इतनी देरी क्यों ?

३. अब कॉन्स्टेबल की गिरफ्तारी होगी ? या मामले की जाँच होगी ?

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