ब्राह्मण” कभी गाली नही बकता ओ चिन्धी चोर तो है नही फिर सरकारी मशीनरी में सबसे ज़्यादा ब्राम्हण पुर्ज़े लगे है !

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रिपोर्टर.

सड़को चौराहों ढाबो और अपने ही घरो” में गाली बकने वाली मख्लूक मुस्लिम ओबीसी और दलित समुदाय है।

ब्राह्मण को आरक्षण नही मिलता, फिर भी सरकारी मशीनरी में सबसे ज्यादा ब्राह्मण पुर्जे लगे है!

ब्राह्मणो का नाम चिन्दी चोरियो में नही आता, बड़े बड़े घोटालो में स्वर्ण अक्षरों में नाम मिल जाएगा इनका!
टपोरीबाज़ी नही करते ये, बड़े बड़े दंगो में जाँच के केंद्र में रहते है ये और जाँच की दिशा भी मोड़ देते है !

देर रात घर के बाहर सिगरेट चाय का आनंद लेते नही नजर आते। देशी शराब के ठेकों पे ब्राह्मण नही मिलेंगे आपको !
ब्राह्मण आपको आलिशान बार में मिलेगा , शराब पीकर “गटर नालों” में मुस्लिम ओबीसी और दलित मिलता है।

सड़को पे घूम घूम कर अगरबत्ती बेचने का काम “मुस्लिम दलित ओबीसी” करता है, ब्राह्मण उसी अगरबत्ती को 7 बार घुमाकर 700 रु. बना सकने की काबिलियत रखता है।

जेलों में मुस्लिम दलित और ओबीसी भरे पड़े है, ब्राह्मण मुश्किल से नजर आता है वहां ब्राह्मणों ने प्रशाशन का हिस्सा बनकर अपराध को नियंत्रित करने काम अपनाया और जो जेल में है वे अपने अपराध करने की इच्छा को नियंत्रित नही कर सके , दंगो में ब्राह्मण तलवार भाला लेकर घर से नही निकलता !

वो अपनी पॉश कॉलोनी में सुरक्षाबलों के घेरे में सुरक्षित रहता है। मरने मारने का जिम्मा “मुस्लिम दलित ओबीसी” के सर की जिम्मेदारी होती है।
5% ब्राह्मण 80% गैर ब्राह्मणो को कैसे हांक लेता है जरा सोचिये?

जब देश आज़ाद हुआ तब ब्राह्मणो को सबसे पहले ये बात समझ आ गयी की अब धार्मिक किताबे सत्ता में बने रहने के लिए अपर्याप्त है

इसलिए उन्होंने धार्मिक किताबे “दलितों और ओबीसी” को थमाकर खुद संविधान की किताब पढ़ने लगे।

मुसलमानो को तो ब्रिटिश राज में 1857 के ग़दर के फौरन बाद से तीन अलग अलग फिरको के मदरसे मिल चुके थे।
वे वहां एक दूसरे के खिलाफ इल्म खोदने में मस्त रहे, और आज़ादी के बाद “दलित ओबीसी” ईश्वर प्रसन्न करने के लिये तरह तरह के अनुष्ठान करने लगे।

ब्राह्मणो ने संविधान को अपनी शक्ति बनाया, और “दलित मुस्लिम ओबीसी” ने अपने अपने धर्म को अपनी शक्ति समझा , हालांकि धर्म को तो इन्होंने कभी समझा ही नही था !

बहुत कम लोग हुए जो धर्म का असल मर्म समझ पाए.
अब यही मर्महीन रैलियों झांकियों में शोर मचाने को धर्म समझते है, आपस में एक दूसरे को काफिर मुश्ररीक मलेछ समझना धर्म है इनका!
एक दूसरे के फिरके पे थुकिये ये धर्म है, एक दूसरे को हिकारत से देखिये ये धर्म है !

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