न्यायालय द्वारा बरी होने के बाद भी पीड़ितों को फिर से जेल में डालने की नापाक कोशिशें ?

Vector illustration of a man lock up in prison

बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड की आठवीं बरसी पर रिहाई मंच 19 सितंबर को लखनऊ में करेगा जनसुनवाई आतंकवाद के झूठे आरोपों से बरी व कैद पीड़ितों के परिजन सुनाएंगे अपनी दास्तानरिहाई मंच बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की आठवीं बरसी पर आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए युवकों की जनसुनवाई 19 सितंबर 2016 को दोपहर ढाई बजे से यूपी प्रेस क्लब में करेगा। जनसुनवाई में सिमी, आईएम, लश्कर, अलकायदा, आईएसआईएस के नाम पर झूठे आरोपों में जेलों में कैद पीड़ितों के परिजन अपनी दास्तान बताएंगे।

रिहाई मंच लखनऊ प्रवक्ता अनिल यादव ने बताया कि जिस तरह सपा ने चुनावी घोषण पत्र में वादा करके भी आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को नहीं छोड़ा तो वहीं चुनाव आते ही मायावती भी कहने लगी हैं कि मुसलमानों को आतंकवाद के झूठे आरोप में पुलिस फंसाती है। ऐसे में रिहाई मंच आतंकवाद के नाम पर पीड़ित युवकों व उनके परिजनों की यह जनसुनवाई आयोजित कर जनता के सामने इस बात को लाना चाहता है कि वर्तमान सपा और पूर्ववर्ती बसपा सरकार के सिर्फ भावनात्मक भाषणों का झूठा नाटक कर उनसे वोट लिया है बल्कि आगे भी लेने की उनकी रणनीति है। जबकि सच्चाई यह है कि चाहे मायावती की सरकार रही हो या अखिलेश की दोनों सरकारों में न सिर्फ आतंकवाद के पीड़ितों के साथ जेलों में उत्पीड़न हुआ बल्कि न्यायालय से बरी होने के बाद उच्च अदालतों में जाकर बेगुनाहों को फिर से सलाखों के पीछे पहुंचाने की हर कोशिश की। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मायावती सरकार में चिनहट, नोएडा से लेकर आजमगढ़, प्रतापगढ़, बरेली व अन्य जगहों से गिरफ्तारियां हुई। तो वहीं अखिलेश सरकार में भी दिल्ली स्पेशल सेल व एनआईए ने मुस्लिम युवकों को उठाया। निमेष कमीशन ने दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई और तारिक और खालिद के साथ इंसाफ की बात कही लेकिन सपा सरकार के साथ मिलकर आईबी और दोषी पुलिस वालों ने मौलाना खालिद की ही हत्या करवा दी।

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