नाली के किनारे पड़ी बीमार गाय वक्त पर किसी गौरक्षकों ने इलाज नही किया ऐसे में तड़प तड़प के दम तोड़ दिया ! मानवता हुई शर्मशार !

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रिपोर्टर.

प्रतापगढ़ जिला एक आस्था का जिला कहा जाता है।
जब से यूपी में योगीराज क़यम हुआ तब से हिन्दू समुदाय में गऊ माता की रक्षा के लिए दर्जनों भर संगठन कार्य कर रहे है ।

आप को बता दे कि यदि किसी सड़क दुर्घटना में गऊमाता की मृत्यु हो जाती है तो सभी संगठन जिला प्रशसन को हिला के रख देते है।

ऐसे होना भी चाहिए क्योकि जान चाहे इंसानन की हो या जानवर की।
आप को बता दे कि कल रात से माता नेहलिया में एक गाय बुरी तरह से बीमार नाली के किनारे पड़ी थी ।

पर किसी भी संगठन की इस पर नजर नहीं पड़ी, जब हमारे मीडिया के साथियो को इस बारेमे जानकारी हुई तो संगठन हरकत में आया और दूर से ही डॉक्टर को उपचार के लिये फोन किया गया।

नतीजा ये निकला की हिन्दू समुदाय की आस्था कही जाने वाली गऊ माता कीउचित उपचार व सही देख भाल न होने के कारण मौत होगई।

अब इसपर ये मुहावरा एकदम सही है कि कभी जिंदे को पानी पिलाया नहीं बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा ?

वही दूसरी तरफ मुस्लिम व्यपरियो का कहना था कि यदि हम इस गाय को अस्पताल पहुचाने जाते तो जिले के गऊ रक्षक हमारे ऊपर गऊ कशी का आरोप लगा कर नरभक्षक की तरह ख़ामोखः हमे जान से मार डालते ऐसे में शायद प्रशासन भी हमारा साथ न देता!
आज एक जानवर राजनीति के भेट चढ़ गया ।

अभी तक उस गाय के पास किसी भी संगठन ने दस्तक नहीं दिया ।

योगी सरकार में गाय को गऊमाता का दर्जा देकर राजनीति और वोट बैंक का मुद्दा बना कर रखा है ।

अब देखना ये है कि इस गाय माता का अंतिम संस्कार करने के लिए कब संगठन आगे आता है ? या फिर नगरपालिका के कर्मचारी के माध्यम से ही किनारे लगाना पड़ेगा ?

 

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