किस कदर है, नमाज का मुकाम ख्वाजा गरीब नवाज के पास ? जाने !
रिपोर्टर:-
जब हमारे नबी (सल्ललाहू अलयही वसल्लम) ने ख्वाजा गरीब नवाज को ख्वाब मे हूकम दीया के ऐ मुइनुद्दीन हिंदुस्तान जाओ। वहां से जहालीयत खत्म कर के वहा के लोगो को ईमान की दौलत से नवाज दो। ”
तो ख्वाजा गरीब नवाज र अ ने हुक्म-ए-नबी पर सऊदी अरब से भारत का सफर अपने कुछ आशिको के साथ शुरू कीया।
सन-1190 भारत मे राजस्थान के अजमेर मे पहोच कर इस्लाम दिन को फेला ने का काम शुरू किया ।
तब अजमेर के एक शख्स ने ख्वाजा गरीब नवाज के एक आशीक से पूछा के इस्लाम मे पाँच फर्ज नमाजे पढ़ ने का दसतूर है ।
तो बताओ सऊदी अरेबीया से हिंदुस्तान आने के हजारो-लाखों मैल के इस सफर मे ख्वाजा मूइन्नूदीन ने कीतनी नमाजे छोड़ दी होगी?
तब ऊस आशीक ने मुस्कुराकर अपने चीश्तीया अंदाज मे यू कहा कि अरे नादान ये ख्वाजा गरीब नवाज है फर्ज नमाज तो दूर की बात हे।
उन्हों ने तो तहज्जूद का एक सजदा
तक भी नही छोड़ा।
सूब्हानअल्लाह सूब्हानअल्लाह।
एक ख्वाजा गरीब नवाज है। जो आले-रसूल है कि जीनका जन्नत मे जाना बेशक तय(पक्का) है।
एक ये मुसलमान है जो अपने-आपको ख्वाजा गरीब नवाज r .a का आशीक कहता है ।
एक वक्त की नमाज भी पाबंदी से नही पढ़ता!
ख्वाजा गरीब नवाज र. अ. का सच्चा आशिक होगा वही ईस मेसेज को आगे मुसलमानों को सेडं करेगा।
और वही आज से ही नमाजो को पढ़ना भी शुरू करेगा।
या आल्लाह عزوجل इसे आगे भेजने वाले को कभी किसी का मोहताज ना बना .आमिन।