कब खत्म होगा महिलाओं के साथ अन्याय का सिलसिला ?
रिपोर्टर:-
हमारे सभ्य मानव समाज मे महिलाओं के साथ होने वाली हिंसक घटनाये खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
दुष्कर्मी प्रवत्ति वाले लोग यह क्यो नही समझते की उनके घर मे भी महिलाएं है।
अभी हैदराबाद रेप कांड की आग नही बुझ पाई कि उन्नाव जनपद के एक गांव में रेप पीड़िता के आरोपियों ने एक युवती को पेट्रोल डालकर आग लगा दी!
युवती 90% बुरी तरह झुलस गई है और डॉक्टरों के मुताबिक उसका शरीर लगभग जल चुका है ।
उसके बचने की उम्मीद बहुत ही कम है?
एक बात तो इस घटना के बाद यह जरूर साबित हो गई है कि महिलाओ के साथ बढ़ती घटनाओं में हमारा कमजोर सुरक्षा तंत्र और लोगो की महिलाओ के प्रति गन्दी विचारधारा और नज़रिया है।
प्रायः देखने को मिलता है अधेड़ उम्र के गन्दी मानसिकता रखने वाले व्यक्ति सड़को और सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओ को लेकर बेहद अश्लील और भद्दे फब्तियां कसते है।
जो की यह दर्शाता है कि हम सभ्य मानव नही अपितु दानव कहलाने के काबिल है।
दिनप्रतिदिन हो रही घटनाओं ने बच्चियों नवयुवतियों की सुरक्षा को लेकर परिवाजनों की चिंता को बहुत बड़ा दिया है।
अब तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है?
जब महिलाएं समाज में अपनी सलामती के लिए घरों में रहने को मजबूर हो रही है।
हमारे देश में रोज कही न कही से रेप, दुष्कर्म , यौन उत्पीडन , छेड़छाड़ की घटनाये ,न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों की सुर्खिया बनती है ।
जब कोई पीड़ित लड़की या महिला पुलिस को अपनी आप बीती बताती है तो अधिकतर मामलो में सुनवाई न करके पुलिस उल्टा बैरंग वापस भेज देती है।
जिस देश में कन्याओ की पूजा की जाती हो उसी देश में एक लडकी को उसकी अस्मत लूटने के बाद उसकी पहचान मिटाने के लिए उसका गला घोंट दिया जाए जला दिया जाए , क्या यही हमारे देश की संस्क्रृति और सभ्यता है?
वाकई मानवता को शर्मशार कर देने वाले इस मामले को देश की सुप्रीम संस्था सुप्रीम कोर्ट को बेहद गम्भीरता से लेते हुए महिलाओ के प्रति बढ़ते जघन्य अपराधो की सजा के लिए फ़ासी की सजा का तुरंत फरमान देना चाहिए,
आखिर कब तक कितनी निर्भया इन हवस के वहशी दरिंदो का शिकार होती रहेंगी?
आज हमें बलात्कार को धर्म, मजहब के चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
बलात्कारी कहीं भी हो सकते हैं, किसी भी चेहरे के पीछे, किसी भी बाने में, किसी भी तेवर में, किसी भी सीरत में किसी भी वक़्त। बलात्कार एक प्रवृति है।
उसे चिन्हित करने, रोकने और उससे निपटने की दिशा में यदि हम सब एकमत होकर काम करें तो संभवतः इस प्रवृत्ति का नाश कर सकते हैं।