अब पत्रकारों के लिए एक नए आयोग का गठन होगा !

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अब पत्रकारों के लिए एक नए आयोग का गठन होगा !

पत्रकारों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर केंद्र सरकार सक्रिय।
इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट में लाने पर विचार।
श्रम मंत्री ने सभी राज्य सरकारों से मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर अमल कराने को कहा।

श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में शुक्रवार को श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने पत्राकारों के लिए गठित मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर अमल की स्थिति की समीक्षा की ,उच्चतम न्यायालय के 7 फरवरी, 2014 के आदेश के आलोक में सभी पहलुओं पर विचार किया गया !
बैठक पत्राकारों के वेतन के लिए एक और नए आयोग के गठन पर भी विचार किया गया !

इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, 1955 के दायरे में लाने पर विचार किया गया!

इस पर राज्य सरकारों से सुझाव मांगने का निर्णय लिया गया, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर अमल की स्थिति की समीक्षा के लिए आज यहां राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, 1955 की क्रमशः धारा 9 और धारा 13सी में निहित प्रावधानों के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर कार्यरत पत्रकारों और गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचारियों के लिए वेतन बोर्डों का गठन करती रही है।

इसके लिए मजीठिया वेतन बोर्ड का गठन श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 24 मई, 2007 को किया गया था।
बोर्ड ने 31 दिसम्बर, 2010 को सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी थीं।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने उपर्युक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को 11 नवम्बर, 2011 को अधिसूचित किया था।
इसके लिए 2011 की डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 246 पर फैसले को ध्यान में रखा जाना था।

देश के उच्चतम न्यायालय ने 7 फरवरी, 2014 को अपने निर्णय में मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सही ठहराया था।

चूंकि उपर्युक्त ऑर्डर पर अमल नहीं करने वाले कुछ समाचार पत्र संस्थानों के खिलाफ कुछ पत्रकारों द्वारा उच्चतम न्यायालय में अवमानना याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

उच्चतम न्यायालय ने 19 जून, 2017 को सुनाए गए अपने फैसले में कहा कि मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू किया जाना है।
न्यायालय ने निर्णय में चार महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्थिति साफ क्र दी थी ।

इनमें मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के मुताबिक वेतन का भुगतान, अनुच्छेद 20(जे), परिवर्तनीय वेतन की स्वीकार्यता और ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी इन सिफारिशों को लागू करने के साथ-साथ बकाया रकम की अदायगी के लिए समाचार पत्र संस्थानों की वित्तीय क्षमता शामिल हैं।

उच्चतम न्यायालय के उपर्युक्त फैसले को ध्यान में रखते हुए मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर अमल से संबंधित मुद्दों पर शुक्रवार को विचार-विमर्श करने के लिए बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में एक बैठक राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ की गई।

गौरतलब है कि इस अधिनियम के मुताबिक मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों पर अमल कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाली गई है।

संकेत है कि केंद्र सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है क्योंकि अगर इस पर अमल नहीं हुआ तो उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में जवाब देना पड़ेगा !

श्रम मंत्री ने बैठक के दौरान राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक अधिकारियों से मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू कराने को कहा ।

खबर है कि इस बैठक के दौरान इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, 1955 के दायरे में लाने पर विस्तार से चर्चा हुईं।
राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे इस बारे में अपनी राय शीघ्र भेजें जिससे इस पर अति शीघ्र निर्णय लिया जा सके।

चूंकि पिछले वेतन बोर्ड का गठन वर्ष 2007 में किया गया था, और अब स्थिति में काफी परिवर्तन हो गया है इसलिए इस बैठक के दौरान एक नए वेतन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया।

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