अगर कोई झूटी शिकायत कर आपको फसा दे और FIR दर्ज हो तो क्या करना चाहिये ?

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रिपोर्टर.

एक बार बता रहा हूँ ,बहुत सारे सथियो का पत्र एंटी करप्शन कौंसिल ऑफ़ इंडिया को प्राप्त हुआ कि अगर कोई झूठी शिकायत करके आपको फंसा दे और पुलिस झूठी शिकायत के बाद प्राथमिकी भी दर्ज कर ले ,तब आपको क्या करना चाहिए?

क्या आप बच सकते है ? आइये आज आप सब एक बार जरूर पढ़े और अपना COMMENT भी लिखे।

QUES -झूठी एफआईआर, पुलिस और कोर्ट के कानूनी झंझट से बचने का उपाय आप जानिए?कैसे बचें ?

Ans:- कुछ लोग आपसी मतभेद में एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में झूठी एफआईआर लिखवा देते हैं।

अक्सर ऎसे मामलों में जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, वे पुलिस और कोर्ट के कानूनी झंझटों में फंस जाते हैं

और उनका धन, समय और जीवन बर्बादी की कगार पर चल पड़ता है।

परन्तु क्या आप जानते हैं कि ऎसी झूठी शिकयतों के खिलाफ आप कार्यवाही कर अपने आपको बचा सकते हैं!

भारतीय संविधान में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 482 ऎसा ही एक कानून है जिसके उपयोग से आप फिजूल की परेशानियों से बच सकते हैं!

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 482 के तहत आप अपने खिलाफ लिखाई गई एफआईआर को चैलेन्ज करते हुए हाईकोर्ट से निष्पक्ष न्याय की मांग कर सकते हैं!

इसके लिए आपको अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में एक प्रार्थनापत्र देना होता है

जिसमें आप पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर प्रश्नचिन्ह लगा सकते हैं।

यदि आपके पास अपनी बेगुनाही के सबूत जैसे कि ऑडियो रिकॉर्डिग, वीडियो रिकॉर्डिग, फोटोग्राफ्स, डॉक्यूमेन्टस हो तो आप उनको अपने प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न करें।

ऎसा करने से हाई कोर्ट में आपका केस मजबूत हो बन जाता है और आपके खिलाफ दर्ज एफआईआर कैंसिल होने के आसार मजबूत हो जाते हैं।

धारा 482 का प्रयोग दो तरह से किया जाता है। पहला प्रयोग अधिकतया दहेज तथा तलाक के मामलों में किया जाता है

इन मामलों में दोनों पार्टियां आपसी रजामंदी से सुलह कर लेती है।

जिसके बाद वधू पक्ष हाईकोर्ट में वर पक्ष के खिलाफ एफआईआर कैंसिल करने की एप्लीकेशन देता है,

जिसके बाद वर पक्ष के खिलाफ दायर 498, 406 तथा अन्य धाराओं में दर्ज मामले हाई कोर्ट के आदेश पर बन्द कर दिए जाते है!

दूसरा प्रयोग आपराधिक मामलों में किया जाता है। मान लीजिए किसी ने आपके खिलाफ मारपीट , चोरी, बलात्कार अथवा अन्य किसी प्रकार का षडयंत्र रच कर आपके खिलाफ पुलिस में झूठी एफआईआर लिखा दी है।

आप हाई कोर्ट में धारा 482 के तहत प्रार्थना पत्र दायर कर अपने खिलाफ हो रही पुलिस कार्यवाही को तुरंत रूकवा सकते हैं।

यही नहीं हाई कोर्ट आपकी एप्लीकेशन देख कर संबंधित जांच अधिकारी जांच करने हेतु आवश्यक निर्देश दे सकता है।

इस तरह के मामलों में जब तक हाई  कोर्ट में धारा 482 के तहत मामला चलता रहेगा, पुलिस आप के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकेगी।

यही नहीं यदि आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारन्ट जारी है तो वह भी तुरंत प्रभाव से हाई कोर्ट के आदेश आने तक के लिए रूक जाएग।

इन कानून के तहत आप को एक फाइल तैयार करनी होती है जिसमें एफआईआर की कॉपी तथा आपके प्रार्थना पत्र के साथ साथ आपको जरूरी एविडेन्स भी लगाने होते हैं।

यदि एविडेन्स नहीं है तो आप अपने वकील से सलाह मशविरा कर पुलिस में दर्ज शिकायत के लूपहोल्स को ध्यान से देख कर उनका उल्लेख करें।

इसके अतिरिक्त आप यदि आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका भी उल्लेख करें।

 

 

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